-इससे पहले 31 जुलाई को केदारनाथ पैदल मार्ग भीमबली और लिंचोली के बीच बादल फटने से बह गया था, जिसमें कम से कम मारे गए 17 लोग
केदारनाथ पैदल मार्ग पर बीती देर शाम सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच मनकुटिया के पास भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 05 हो गई है। भूस्खलन की चपेट में कुछ तीर्थयात्रियों के आने की सूचना के तत्काल बाद से एसडीआरएफ ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था। जिसमें मलबे से 03 यात्रियों को सकुशल बचा लिया गया था, जबकि मलबे से 01 शव की बरामद किया गया। वहीं, मंगलवार सुबह मलबे में 02 महिला और 02 पुरुष अचेतावस्था में मिले थे। उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्स्कों ने मृत घोषित कर दिया। इस प्रकार मृतकों की संख्या 05 हो गयी है। हादसे का शिकार हुए व्यक्ति मध्य प्रदेश, गुजरात और नेपाल (धनवा) के रहने वाले थे।
घायलों का विवरण
1. जीवच तिवारी पुत्र रामचरित निवासी धनवा नेपाल (उम्र 60 वर्ष)
2. मनप्रीत सिंह पुत्र कश्मीर सिंह निवासी वेस्ट बंगाल (उम्र 30 वर्ष)
3. छगनलाल पुत्र भक्त राम निवासी राजोत जिला धार मध्य प्रदेश (उम्र 45 वर्ष
मृतकों का विवरण
1. गोपाल पुत्र भक्तराम निवासी जीजोड़ा पो0 राजोद जिला धार मध्य प्रदेश (उम्र 50 वर्ष)
2. दुर्गाबाई खापर पत्नी संघन लाल निवासी नेपावाली, जिला घाट, मध्य प्रदेश (उम्र 50 वर्ष)
3. तितली देवी पत्नी राजेंद्र मंडल निवासी ग्राम वैदेही जिला धनवा नेपाल (उम्र 70 वर्ष)
4. भारत भाई निरालाल पुत्र निरालाल पटेल निवासी ए 301 सरदार पैलेस करवाल नगर खटोदरा सूरत गुजरात (उम्र 52 वर्ष।)
5. श्रीमती समनबाई पत्नी शालक राम निवासी झिझोरा जिला धार मध्य प्रदेश (उम्र 50 वर्ष)
31 जुलाई से ही खतरनाक बना है केदारनाथ पैदल मार्ग
केदारनाथ पैदल मार्ग और आसपास का क्षेत्र, तभी से खतरनाक बना हुआ है, जब 31 जुलाई 2024 को भीमबली से लिंचोली के बीच बदल फटने की घटना हुई थी। इस हादसे में जहां 02 पुलिया बह गई, सोनप्रयाग के पास मोटर मार्ग का 150 मीटर हिस्सा बह गया था, जबकि कम से कम 17 लोगों के मारे जाने की बात सामने आई। क्योंकि, मलबे से 07 लोगों से शव निकाले गए और 06 की शिनाख्त भी कर ली गई थी। हालांकि, केदारनाथ यात्रा पर गए व्यक्तियों के परिजनों की ओर से 23 की गुमशुदगी दर्ज कराई गई थी। इस गुमशुदगी में 06 वह लोग भी शामिल हैं, जिनके शव की पहचान कर ली गई थी।
मौसम के तल्ख मिजाज के बीच केदारनाथ क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएं निरंतर सामने आ रही हैं। जिसके चलते पैदल और मोटर मार्ग को दुरुस्त करने में जुटी लोनिवि आदि की मशीनरी को खासी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि 31 जुलाई को बादल फटने की घटना के 40 दिन बाद गौरीकुंड हाइवे को किसी तरह छोटे वाहनों के लिए खोला जा सका। वहीं, पैदल मार्ग को 15 दिन बाद बहाल किया गया। हालांकि, 15 अगस्त को 200 तीर्थ यात्रियों के पैदल मार्ग से केदारनाथ जाने के बाद खतरे को देखते हुए इसे फिर से बंद कर दिया गया था। जिसे फिर से बुधवार 22 अगस्त से बहाल किया गया। अभी पैदल मार्ग पर यात्रा सुचारु ही हो पाई थी कि सोमवार देर शाम यह हादसा हो गया।
15 हजार से अधिक यात्रियों को किया गया था रेस्क्यू
31 जुलाई को बादल फटने के बाद से केदारनाथ यात्रा मार्ग पर आवाजाही ठप हो गई थी। जिसके चलते केदारनाथ क्षेत्र में जगह-जगह हजारों यात्री फंस गए थे। इस दौरान राज्य सरकार ने युद्ध स्तर पर रेस्क्यू चलाते हुए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की मदद से 15 हजार से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला। साथ ही 07 अगस्त से यात्रा को दोबारा से शुरू किया जा सका।
केदारनाथ पैदल मार्ग से मलबा हटाने में जुटी एसडीआरएफ की टीम, साथ ही राहत एवं बचाव कार्य भी तेज किया गया है।
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