-विभिन्न राज्यों में गतिमान कार्रवाई के क्रम में दून के कैनाल रोड स्थित बिल्डर के ठिकानों पर भी की गई जांच
Gauri Rudra News, Dehradun: पर्ल एग्रो कॉर्पोरेशन लि. (पीएसीएल) से जुड़े करीब 60 हजार करोड़ रुपये के चिट फंड (पौंजी स्कीम) घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) देहरादून शाखा की टीम ने दून में एक बिल्डर के ठिकानों पर छापेमारी की। टीम ने बड़ी संख्या में जमीनों और अन्य संपत्तियों के दस्तावेज कब्जे में लिए। इसके अलावा ईडी की अलग-अलग टीमें पंजाब और हरियाणा आदि राज्यों में भी घोटाले से जुड़े तमाम व्यक्तियों के घरों और प्रतिष्ठानों की जांच में भी जुटी है।
शुक्रवार सुबह ईडी की टीम देहरादून में बिल्डर मिकी अफजल के कैनाल रोड स्थित भवन/प्रतिष्ठान के अलावा इसी क्षेत्र में एक वेडिंग पॉइंट/फार्म पर पहुंची। ईडी अधिकारियों ने बड़ी संख्या में चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज और इलेक्ट्रानिक डिवाइस कब्जे में लिए। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत ईडी जल्द बिल्डर की संपत्तियों को अटैच करने की कार्रवाई भी शुरू कर सकती है।
पूर्व में उत्तराखंड में सीबीआई भी पर्ल ग्रुप पर शिकंजा कस चुकी है। जिसमें सीबीआई की ओर से राजस्व परिषद को भेजे गए पत्र के बाद उत्तराखंड में पर्ल ग्रुप से जुड़ी संपत्तियों की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी गई थी।
हालांकि, इसके बाद भी भूमाफिया ने जमीनों को खुर्दबुर्द करने का काम किया। जमीनों को खुर्दबुर्द होने से रोकने की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों पर थी, लेकिन इस दिशा में अपेक्षित प्रयास नहीं किए जा सके। यही हाल गोल्डन फारेस्ट की संपत्तियों के मामले में भी सामने आया। दोनों ही कंपनियों के घोटाले एक जैसी प्रकृति के हैं। ईडी की कार्रवाई देर रात तक जारी रहने की उम्मीद है। जिस कारण अभी इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी है कि ईडी ने छापेमारी में कितनी नकदी, आभूषण और अभिलेख कब्जे में लिए हैं।
05 करोड़ निवेशकों से फर्जी ढंग से जुटाए 60 हजार करोड़
पर्ल एग्रो कॉर्पोरेशन लि. (पीएसीएल) के 60 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का संबंध निर्मल सिंह भंगू से है। उसकी अब मौत हो चुकी है, लेकिन जिस पौंजी स्कीम के माध्यम से उसने अपने सहयोगियों के साथ उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न हिस्सों में 10 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि खरीदी। इसके लिए पंजाब निवासी निर्मल सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर जनता को निवेश करने और मोठे रिटर्न का झांसा दिया। इस तरह देशभर में 05 करोड़ से अधिक निवेशकों से 60 हजार करोड़ रुपये की पूँजी जुटा ली। यह राशि सेबी के नियमों के विपरीत एकत्रित की गई थी, लिहाजा मामला खटाई में पड़ गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की संपत्तियों को बेचकर/नीलम कर निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए वर्ष 2015-16 में जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी गठित की। दूसरी तरफ सीबीआई और ईडी ने भी कंपनी पर शिकंजा कसना शुरू किया। ताकि कंपनी और उसके सहयोगियों की चल-अचल संपत्ति को जब्त कर जस्टिस लोढ़ा कमेटी के माध्यम से निवेशकों को राहत दिलाई जा सके। अब तक समिति के माध्यम से 878 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जुटा ली गई है। सूत्रों के मुताबिक अब तक 1.5 करोड़ निवेशकों का रिफंड आ चुका है। हालांकि, अभी भी बड़ी संख्या में निवेशक अपने पैसे की वापसी की राह ताक रहे हैं।